1. फॉरवर्ड्स (Forwards)
- फॉरवर्ड एक कस्टमाइज्ड अनुबंध होता है जो दो पक्षों के बीच किया जाता है। इसमें भविष्य में एक निश्चित तिथि पर एक निर्धारित मूल्य पर संपत्ति की खरीद या बिक्री का वादा होता है।
- फॉरवर्ड्स का इस्तेमाल अक्सर कंपनियाँ करेंसी एक्सचेंज रेट्स को लॉक करने के लिए करती हैं ताकि भविष्य में कीमत की अस्थिरता से बचा जा सके।
- ये ओवर-द-काउंटर (OTC) मार्केट्स में ट्रेड होते हैं, इसलिए इनमें कस्टमाइजेशन की सुविधा होती है लेकिन लिक्विडिटी कम होती है।
2. फ्यूचर्स (Futures)
- फ्यूचर्स अनुबंध फॉरवर्ड्स के समान ही होते हैं, लेकिन ये एक्सचेंज ट्रेडेड होते हैं। इसका मतलब है कि ये मानकीकृत (standardized) होते हैं और एक्सचेंज के नियमों का पालन करते हैं।
- फ्यूचर्स का इस्तेमाल निवेशक और ट्रेडर्स संपत्ति की भविष्य की कीमत पर सट्टा लगाने या हेजिंग के लिए करते हैं।
- चूंकि फ्यूचर्स एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं, इसलिए इसमें क्लीयरिंग हाउस होता है जो डिफॉल्ट जोखिम को कम करता है।
3. ऑप्शन्स (Options)
- ऑप्शन्स एक प्रकार के डेरिवेटिव हैं जिसमें खरीदार को किसी निश्चित मूल्य पर संपत्ति खरीदने (कॉल ऑप्शन) या बेचने (पुट ऑप्शन) का अधिकार होता है, लेकिन उसकी बाध्यता नहीं होती।
- ऑप्शन्स का उपयोग रिस्क मैनेजमेंट, सट्टा (speculation) और हेजिंग के लिए होता है।
- ऑप्शन्स दो प्रकार के होते हैं: कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन। कॉल ऑप्शन में संपत्ति खरीदने का अधिकार होता है जबकि पुट ऑप्शन में बेचने का अधिकार।
4. स्वैप्स (Swaps)
- स्वैप्स एक ऐसा अनुबंध है जिसमें दो पार्टियां वित्तीय साधनों, जैसे ब्याज दर या मुद्रा, का आदान-प्रदान करती हैं।
- स्वैप्स का उपयोग मुख्य रूप से कंपनियां ब्याज दरों के अस्थिरता से बचाव के लिए करती हैं। उदाहरण के लिए, एक कंपनी फ्लोटिंग रेट ब्याज को फिक्स्ड रेट में बदलना चाह सकती है।
- सबसे आम स्वैप्स ब्याज दर स्वैप्स, मुद्रा स्वैप्स, और कमोडिटी स्वैप्स होते हैं।
निष्कर्ष
डेरिवेटिव्स का उपयोग वित्तीय मार्केट्स में जोखिम को कम करने, निवेश पर बेहतर रिटर्न प्राप्त करने और सट्टा लगाने के लिए होता है। हालांकि, डेरिवेटिव्स का सही ज्ञान और समझ आवश्यक है, क्योंकि ये जटिल वित्तीय उपकरण होते हैं।
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